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जीवनपुरहाट जंक्शन - जीवनपुरहाट जंक्शन एक युवा मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के हवाले से अस्सी के दशक का ऐसा वितान प्रस्तुत करता है जो अब शायद हमारी स्मृतियों से ग़ुम हो चुका है। जीवनपुरहाट जंक्शन स्मृति और आख्यान का ऐसा अप्रतिम समन्वय है, जो लेखक के जीवन में आये ऐसे पात्रों की उपस्थिति को दर्ज करता चलता है जिसे अक्सर हम भुला से देते हैं। लेकिन लेखक के तौर पर अशोक भौमिक ने अपनी इस नवीनतम कृति में उन्हें एक मुक़ाम दिया है। एक नज़र में ये पात्र महत्त्वपूर्ण नहीं लगते लेकिन जैसे-जैसे हम उनको पढ़ते चलते हैं—वे एकाएक लेखक के जीवन में महत्त्वपूर्ण बनते चले जाते हैं। सुरजीत, शरफ़ुद्दीन, आंटी जी, मास्टर जी जैसे न जाने कितने जी चरित्र हैं जो इस पुस्तक में आये हैं और अपनी उपस्थिति से हर बार कुछ नया सबक दे जाते हैं। चूँकि लेखक ख़ुद एक चित्रकार भी हैं इस कारण उनकी भाषा की बारीकियाँ और उसके तहों में लिपटे रंगों का सौन्दर्य सुख पाठकों को अन्त तक बाँधे रखने में सक्षम हैं। जीवनपुरहाट जंक्शन की कुछ कड़ियाँ 'ज्ञानोदय' में छपकर चर्चित हो चुकी हैं। अब यह मुक़म्मल रूप में आपके हाथों में है, जिसे स्नेह देना आप ही का काम है।
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