जनसंघर्ष - यह एक ऐतिहासिक उपन्यास है, जिसमें देवानांप्रिय प्रियदर्शी सम्राट अशोक के परवर्ती काल में यवन आक्रान्ताओं के विरुद्ध विविध रूपों में भारतीय जनता के संघर्षों का विवरण प्रस्तुत किया गया है। अशोक के काल में मौर्य साम्राज्य की सीमाएँ एवं सीरिया के यूनानी महाक्षत्रप, अन्तियोक, की सीमाएँ परस्पर स्पर्श करती थीं। भारतीय इतिहास के विशालतम मौर्य साम्राज्य का अन्त अपेक्षाकृत द्रुत गति एवं नाटकीय ढंग से हुआ। अशोक की मृत्यु के तीस वर्ष के अन्दर यूनानी सेनाएँ हिन्दूकुश पर्वत को पार करने लगी थीं। डॉ. हेमचन्द्र रामचौधरी के अनुसार 'अब वह शक्ति कहाँ चली गयी, जिसने सिकन्दर के प्रतिनिधियों को खदेड़ दिया था और सेल्यूकस की फ़ौजों के दाँत खट्टे कर दिए थे?' यह उपन्यास इस प्रश्न का उत्तर खोजने का एक प्रयास है, जिसमें भारतीय साहस, शौर्य, देशभक्ति एवं उदारता के अनेक दृश्य प्रस्तुत किये गये हैं। बहुत ही पठनीय व संग्रहणीय उपन्यास।
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