Hasnlee Baank Ki Upkatha

Paperback
Hindi
8126301848
7th
2004
376
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हँसली बाँक की उपकथा - ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित यशस्वी बांग्ला उपन्यासकार ताराशंकर बन्द्योपाध्याय का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण उपन्यास है—'हँसली बाँक की उपकथा'। इसमें वीरभूम के राढ़ अंचल की लालमाटी से रँगी गाथा है, जिसके कई रंग और रूप हैं। वहाँ अब तक जो कुछ होता आया है, वह सब दैव प्रेरित ही है। दैव के कोप या दैव की दया में ही उसकी नियति और गति है। ताराशंकर बाबू इस अभिशाप के साक्षी रहे थे और उन्होंने बहुत निकट से इस अन्ध आस्था के प्रति सारे लोक को समर्पित या असहाय होते देखा था। इस आदिकालीन मनोवृत्ति को उसी अंचल की बुढ़िया सुचाँद के द्वारा इस उपन्यास में स्थापित किया गया है। इस महत्त्वपूर्ण उपन्यास को 'गणदेवता' की अगली कथा-श्रृंखला के रूप में देखा जाना चाहिए।

हंसकुमार तिवारी (Hanskumar Tiwari)

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ताराशंकर बन्द्योपाध्याय (Tarashankar Bandyopadhyaya)

ताराशंकर बन्द्योपाध्याय जन्म : 25 जुलाई, 1898; लाभपुर, जिला वीरभूम (पश्चिम बंगाल)सेवाएँ : अध्यक्ष, साहित्य विभाग, प्रवासी बंग साहित्य सम्मेलन, कानपुर, 1944 तथा बम्बई 1947; अध्यक्ष, अ.भा. लेखक सम्मेलन मद्रा

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