Bhartiya Musalman : Etihas Ka Sandarbh--(Part-2)

Hardbound
Hindi
9789326355773
2nd
2020
2nd
416
If You are Pathak Manch Member ?

भारतीय मुसलमान इतिहास का सन्दर्भ 2 - भारत और पाक का विभाजन हमारे लिए हिन्दू और मुसलमान का विभाजन नहीं था, पाकिस्तान के लिए भले ही यह हिन्दू-मुसलमान का विभाजन था। बाद में पाकिस्तान के मेंटर बने मौलाना मौदूदी के लिए और उन जैसों के लिए बेशक यह हिन्दू-मुसलमान का बँटवारा रहा हो मगर भारत के लिये यह सह-अस्तित्व था, सहजीवन और मुस्लिम कौम की कट्टरता का विभाजन था। मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी हमेशा हठीले अन्दाज़ में चीख़-चीख़ कर कह रहे थे कि मुसलमान किसी दूसरी कौम के साथ रह ही नहीं सकता। अल्लामा इक़बाल ऐसा ही सोचते थे। मुस्लिम कौम का एक बड़ा तबका बिल्कुल ऐसा ही सोचता था। इस हठीली मुस्लिम कौम की एकरेखीय सोच के समानान्तर विकसित हुई सहजीवन शैली वाली साझी संस्कृति की गंगा-जमुनी धारा भी बहती चली आ रही थी—हज़ारों साल वाली सोच। वह हठीली धारा के प्रतिपक्ष में अपने हिस्से का वारिस होनेवाली थी। एक विशाल मुस्लिम आबादी ने महान विरासत वाली साझी संस्कृति की सोच का चयन किया। पाकिस्तान ने सोचा, उसने हिन्दू-मुसलमान का बँटवारा कर लिया। भारत ने कहा, यह तो साझी संस्कृति की सोचवाले मुसलमानों से कट्टर और हठीली सोचवाले मुसलमानों का बँटवारा हुआ। भारत-पाकिस्तान का विभाजन तात्त्विक और मूल्यगत स्तर पर मुसलमानों का मुसलमानों के बीच बँटवारा बन गया। इस तात्त्विक और मूल्यगत विभाजन ने पाकिस्तान को एकदम से बौना कर दिया। कायदे आज़म जिन्ना के मरते ही वह झीना आदर्श भी फट-फूट गया जिसमें वे कहते थे कि हिन्दू शासित धर्मनिरपेक्ष और साझी संस्कृति की विरासतवाला भारत एक ओर और मुस्लिम शासित धर्मनिरपेक्ष साझी संस्कृतिवाला पाकिस्तान दूसरी तरफ़। जिन्ना के जाते ही दशक भी न लगा बल्कि उनके जीते-जी ही पाकिस्तान मौलाना अबुल आला मौदूदी वाली आकांक्षा के अनुरूप संकीर्णता में पूरी तरह ढल गया। एकरंगी, संकीर्ण और पिछड़ी सोचवाला पाकिस्तान। आज स्थिति सामने है। इसका मनोविश्लेषणात्मक अध्ययन इस भाग में प्रस्तुत है।

कर्मेंदु शिशिर (Karmendu Shishir )

कर्मेन्दु शिशिरजन्म : 26 अगस्त, 1953; उनवाँस, बक्सर (बिहार)शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी)सम्प्रति : बी.डी. कॉलेज, मीठापुर, पटना में प्राध्यापक छात्र जीवन से वामपन्थी राजनीति में सक्रिय । फिर साहित्य लेखन में ए

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

Related Books