Bhartiya Musalman : Etihas Ka Sandarbh--(Part-1)

Hardbound
Hindi
9789326355766
2nd
2019
1st
424
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भारतीय मुसलमान इतिहास का सन्दर्भ 1 - नवजागरण पर एकाग्र होकर लम्बे समय तक काम करने के पोछे मेरी सोच यही रही है कि हमारी मौजूदा समस्याओं के अनेक सूत्र हमारे निकटतम अतीत में हैं तो कुछ की जड़ें सुदूर इतिहास में। निकटतम अतीत हमें मौजूदा समस्याओं को समझने और सुधारने में इस तरह भी मदद कर सकता है कि हम देखें कि हमारे पूर्वजों ने अपने समय में समस्याओं को किस तरह सुलझाया था। अगर हम उनसे ज़्यादा विवेकवान होने का दम दिखायें तब हमें उनकी चूकों से बचते हुए मौजूदा समय को आगे के लिए कम-से-कम समस्याओं वाला समय तो बना ही सकते हैं। इसमें शक नहीं कि ईमानदारी और मिल्लत हो तो ऐसा किया जा सकता है। यह बात अलग है कि संकट नीयत और व्यक्तित्व का है। अब इतनी बात तो है कि नवजागरण हमें इसका स्पेस तो मुहैया कराता ही है। मोटे तौर पर भारत में इस्लाम का प्रसार दो तरीकों से हुआ। एक तो सूफ़ीवाद की प्रेमिल भावधारा वाली आध्यात्मिकता साहित्य और संगीत के माध्यम से समाज तक पहुँची तो दूसरी धारा राजनीति के माध्यम से समाज तक आयी। पहलेवाले माध्यम को लेकर हिन्दी में भी विपुल मात्रा में उत्कृष्ट कार्य हुए हैं और वह परम्परा समाज के रग-रग में पसरी हुई है। सच पूछिए तो जिस साझी संस्कृति की बात होती है, उसकी प्राणधारा इसी परम्परा से प्रवाहित होती है, जिसकी एक समृद्ध विरासत है, जिस पर भारतीय समाज को गर्व है और सहजीवन की यह मिसाल उसे पूरी दुनिया में आज भी अद्वितीय बनाये हुए है। यह बात बहुत कम लोग जानते होंगे कि दुनिया में भारत ही ऐसा इकलौता देश है जिसमें इस्लाम की तमाम पन्थिक धाराओं के अनुयायी मौजूद हैं। ऐसा गौरव और किसी देश को हासिल नहीं है। विरोधाभासों से भरे इस विशाल देश में विभिन्न जातियों, नस्लों और धर्मों का जमावड़ा परस्पर सौहार्द और निजता के साथ मौजूद है। 'भारतीय मुसलमान इतिहास का सन्दर्भ' तथा 'भारतीय मुसलमान नवजागरण का सन्दर्भ' (भाग एक और भाग दो) पुस्तकें सौहार्द और निजता की परिणति स्वरूप ही लिखी गयी हैं।

कर्मेंदु शिशिर (Karmendu Shishir )

कर्मेन्दु शिशिरजन्म : 26 अगस्त, 1953; उनवाँस, बक्सर (बिहार)शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी)सम्प्रति : बी.डी. कॉलेज, मीठापुर, पटना में प्राध्यापक छात्र जीवन से वामपन्थी राजनीति में सक्रिय । फिर साहित्य लेखन में ए

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