अपराधी - जीवन, प्रेम, संघर्ष और फिर जीवन का चक्र किस हद तक हमें प्रभावित कर सकते हैं, इसे जानने के लिए 'अपराधी' उपन्यास पढ़ा जाना चाहिए। एक व्यक्ति का जीवन किस तरह से तथा किस हद तक अव्याख्येय हो सकता है, इसे देखना हो तो इस उपन्यास को ज़रूर पढ़ना चाहिए। लेखक ने नौशीद और शिवेन्द्र के माध्यम से न सिर्फ़ दो अलग-अलग समुदायों के युवा वर्ग की बदलती सोच और आपसी तालमेल दिखाकर सामाजिक समरसता की बात की है बल्कि उनके जीवन में आयी विषम परिस्थितियों के बीच उनकी हालातों से लड़ने की जिजीविषा और उससे जीत हासिल करने का विश्वास ही है जो उनके जीवन में फिर से ख़ुशियाँ लाता है। नौशीद जहाँ एक सुशिक्षित, सुसंस्कारित आत्मनिर्भर युवती है तो शिवेन्द्र नयी सोच वाला ऐसा युवक जो चाहता तो विदेश में भी अपनी कैरियर को बुलिन्दयों के शिखर पर ले जाता, लेकिन उसने देश में ही रहकर यहाँ की प्राकृतिक सम्पदा और जल-जंगल-ज़मीन के संघर्ष में शामिल समाजसेवियों के साथ काम करना चुना। विषम परिस्थितियों में भी जिस मज़बूती के साथ नौशीद शिवेन्द्र के साथ खड़ी दिखती है वह नये जमाने के स्त्री-सशक्तिकरण की मिशाल की तरह है। इस उपन्यास में बहुत ही सामान्य भाषा और सहज सरल कथा-विन्यास विद्यमान है जो पाठकों को अन्त तक बाँधे रखने में सफल रहा है। इसका साहित्य जगत में खुले मन से स्वागत किया जाना चाहिए।
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