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Andhere Ki Atma

Hardbound
Hindi
9788126315147
2nd
2008
180
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₹150.00

अँधेरे की आत्मा - ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित मलयालम के चर्चित कथाकार एम.टी. वासुदेवन नायर के कहानी-संग्रह सामान्य जन की जिजीविषा की ओर संकेत है। 'अँधेरे की आत्मा' में ऐसे सामान्य जन की जिजीविषा की ओर संकेत है जो परिस्थितियों के दबाव में विवश ज़रूर दिखता है पर फिर भी विपरीत स्थितियों में निरन्तर संघर्षरत रहते हुए अपनी गरिमा पर आँच नहीं आने देता। इस तरह आम आदमी के स्वाभिमान को श्री नायर बहुत ख़ूबसूरती से उकेरते हैं और उसे हमारी स्मृतियों का अंग बना देते हैं। एक प्रगतिशील कथाकार होने के नाते श्री नायर उन सामाजिक विषमताओं पर प्रहार करते हैं जो मनुष्य को सहज रूप से जीने के अधिकार से वंचित करती हैं। सीधी-सहज शैली और उतनी ही सादी भाषा में अपने समृद्ध अनुभवों से वे कई यादगार चरित्रों से पाठक को रू-ब-रू कराते हैं। इन कहानियों में मलयाली समाज की काफ़ी कुछ बानगी हमें देखने को मिलती है। केरल की प्राकृतिक समृद्धि और माटी की उर्वर-आर्द्रता का अहसास भी होता चलता है। श्री नायर आभिजात्य समाज से कहीं ज़्यादा लोक-समाज से अपनी निकटता महसूस करते हैं, यही उनकी रचनात्मक शक्ति भी है जो इस संग्रह की कहानियों में सर्वत्र नज़र आती है।

एम.टी. वासुदेवन नायर अनुवाद वी. डी. कृष्णन नम्पियार (M.T. Vasudevan Nair Translated By V.D. Krishn Nampiyar )

एम.टी. वासुदेवन नायर - ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित श्री एम.टी. वासुदेवन नायर (साहित्य-जगत् में एम.टी के नाम से प्रसिद्ध) का जन्म सन् 1933 में, केरल प्रदेश के एक गाँव में हुआ। उन्होंने विक्टोरिया

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