Andaz Apana Apana

Hardbound
Hindi
8126310405
3rd
2017
160
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अन्दाज़ अपना अपना - 'अन्दाज़ अपना अपना' में श्री रमेश चन्द्र ने उर्दू शायरी के सदियों के सरमाये से ऐसे हीरे-मोती चुने हैं जिनकी आब-ओ-ताब कभी कम न होगी और जिनकी कशिश हमेशा दिल को खींचती रहेगी। ये चुनिन्दा अशआर श्री रमेश चन्द्र के सुथरे मज़ाक़ और ज़िन्दगी भर के तज़रबे का निचोड़ हैं। इस आइना-खाने में मीर व ग़ालिब, मुसहफ़ी व मोमिन और दाग़ व फ़ानी से लेकर फ़ैज़ व फ़िराक़, शह्रयार व बशीर 'बद्र' तक सबके लहजों की गूँज सुनायी देगी। इन्तिख़ाब निहायत उम्दा और भरपूर है जिसमें ज़िन्दगी की हर झलक मिलेगी और पढ़नेवालों के लिए लुत्फ़ो-मज़े का बहुत सामान है। रमेश चन्द्र जी के ज़ौक़ो-शौक़ के पेशे-नज़र लगता है कि उनकी नज़र पूरी उर्दू शायरी पर रही है, और ज़िन्दगी के हर मोड़ पर चुभते हुए शेरों को वह जमा करते गये हैं। यूँ यह किताब एक जामे-जहाँ-नुमा बन गयी है। ज़िन्दगी, इन्सानियत, रूहानियत, सौन्दर्य, प्रेम, तसव्वुर, वतनपरस्ती, आत्म-विश्वास, मज़हब, दुनियादारी, व्यंग्य, मयक़दा हर मौज़ू पर अच्छे शेरों का ऐसा ज़ख़ीरा है कि ज़िन्दगी की हर करवट एक खुली किताब की तरह सामने आ जाती है। फूल तो बेशक बाग़ में खिलते हैं, लेकिन उनसे गुलदस्ता बनाना बाग़बान का कमाल है।—प्रस्तावना से

रमेश चन्द्र (Ramesh Chandra )

रमेश चन्द्र - जन्म 15 अगस्त, 1925 को नजीबाबाद (उ.प्र.) में प्रतिष्ठित साहू जैन परिवार में। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से इंडस्ट्रियल कैमेस्ट्री में स्नातक। गुरुकुल कनखल से 'विद्या वाचस्पति' की मा

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