Viplav (Aazad Ank)

Yashpal Author
Hardbound
Hindi
9789387648876
1st
1997
88
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यह एक निर्विवाद सच है कि हिंसा-अहिंसा की शर्त रखकर गाँधी ने जिस तरह 1931 के मृत्युदंडों को प्रभावित करने में उदासीनता दिखाई थी और 1938 की प्रान्तीय सरकारों का ताज अपने सिर पर रखकर कांग्रेस और उसका नेतृत्व जिस तरह आत्ममुग्धता से ग्रस्त हुआ था, उस माहौल में भगत सिंह और आज़ाद आदि क्रान्तिकारियों के विरुद्ध अनर्गल कांग्रेसी प्रचार का करारा और सारभूत जवाब देने का कर्तव्य-भार ‘विप्लव’ के ही कन्धों ने सम्भाला था। यशपाल उसी दौरान लाहौर षड्यंत्र केस की सज़ा काट कर जेल से बाहर आये थे और उसी दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू की आत्मकथा प्रकाशित हुई थी, जिसमें चन्द्रशेखर आज़ाद को ‘फासिस्ट रुझानवाला’ व्यक्ति कहा गया है। उसके प्रतिवाद का ही नहीं, सशक्त और तार्किक प्रत्युत्तर का दायित्व ‘विप्लव’ ने वहन किया और प्रतिफल के रूप में सामने आया यह ‘आज़ाद अंक’।

यशपाल (Yashpal)

यशपाल – हिंदी के यशस्वी कथाकार निबंधकार यशपाल का जन्म 3 दिसंबर 1903 ई में फिरोजपुर छावनी में हुआ था ।  लाहौर के नेशनल कालेज में भर्ती होने पर यशपाल सुखदेव और भगत सिंह   जैसे क्रांतिकारियों के संपर

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यशपाल (Yashpal)

यशपाल – हिंदी के यशस्वी कथाकार निबंधकार यशपाल का जन्म 3 दिसंबर 1903 ई में फिरोजपुर छावनी में हुआ था ।  लाहौर के नेशनल कालेज में भर्ती होने पर यशपाल सुखदेव और भगत सिंह   जैसे क्रांतिकारियों के संपर

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