Hari Dal Par Peele Patte

Paperback
Hindi
9789389012316
1st
2019
72
If You are Pathak Manch Member ?

यदि मेरी पीड़ा अन्तहीन न होती तो उसके होने पर मन इतना नहीं दुखता। यदि बबूल के काँटों की डगर में कुछ गुलाब की कलियाँ भी बिछी होती तो काँटों की चुभन मेरे पैर सानन्द सह लेते। मगर ऐसा हो नहीं सका। न तो पीड़ा ने मेरा साथ छोड़ा, न ही काँटों ने मेरे तलवे की नरमी को। पीड़ा मेरी संगिनी बनने को क्यों उतारू है, में समझ नहीं पाया। पीड़ा को शायद मेरे हृदय की नमी, नाजुकता कुछ ज़्यादा ही मुफ़ीद है। उपन्यास लिखते समय न जाने कितनी बार कितने काग़ज़ों ने मेरे आँसुओं से सम्पर्क किया। भावनाओं के न जाने कितने चश्मे कितनी बार फूटे। तसल्ली हुई कि चलो काग़ज़ पर मेरी भावना मूर्त रूप में उभरी। मेरे सामने अक्षर रूप में आकर खड़ी हुई। मैं स्तब्ध भी रहा, मैं ख़ामोश भी रहा। मुझे इस बात की ग्लानि है कि परिवार में दरार अतिवेग से चौड़ी होती जा रही है; कुछ अपने ही अपना महत्त्व मनवाने के लिए आग में घी का काम करते हैं, मगर वे यह नहीं समझते कि उनकी यह हरकत उनको भी पूरी तरह से तोड़ सकती है।

रघुनंदन शर्मा 'तुषार' (Raghunandan Sharma 'Tushar')

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter