Wah Madiyara Sanp

Hardbound
Hindi
9789387409873
1st
2017
264
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जीवन को अलग-अलग निगाह से देखने और पहचानने की एक स्वच्छन्द कोशिश है। इसमें जितना समय है, उतना ही समय की गवाही देते आदमी की रंगारंग फितरतें भी। यह कहना गुनाह नहीं होगा कि लेखक की स्मृतियों की सीमा ही, इनकी भी सीमा है अन्यथा तो ये सब जो यहाँ याद किये गये हैं, सचमुच याद करने लायक हैं। ये सब अलग-अलग किस्में हैं, स्वभावतः अपनी विरलता का सौन्दर्य और रोमांच लिए हुए। जिस भाषा और शिल्प के मुहावरे में ये बाँधे गये हैं उसमें उनके व्यक्तित्व की वे सुगन्धें धीमे-धीमे मुस्करा रही हैं, जो कई अन्यों के भी अनुभवों में होंगी।

विजय बहादुर सिंह (Vijay Bahadur Singh)

विजय बहादुर सिंह 16 फ़रवरी 1940, गाँव जयमलपुर, ज़िला-अम्बेडकर नगर (पूर्व में फ़ैज़ाबाद), उ.प्र. में जन्म। आलोचना, कविता, संस्मरण, जीवनी लेखन के अलावा कवि भवानीप्रसाद मिश्र, दुष्यन्त कुमार और आलोचक आ

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विजय बहादुर सिंह (Vijay Bahadur Singh)

विजय बहादुर सिंहपूर्व प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय । जन्म : 1 जुलाई, 1959 ई. आजमगढ़ जिले के खानजहाँपुर गाँव में।शिक्षा : 1980 ई. - एम.ए. (हिन्दी), 1983 ई. - पीएच. डी., काशी हिन्

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